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संपादकीय

सीमा खींचना

25.12.21 368 Source: The Hindu
सीमा खींचना

परिसीमन अभ्यास के साथ जम्मू-कश्मीर की राजनीति को फिर से तैयार करने का कोई भी प्रयास विफल होना तय है

जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों के प्रस्तावित पुनर्सीमांकन ने कश्मीर घाटी में क्षेत्रीय दलों के पूरे ढांचे को हिला दिया है। उनके विरोध के मूल में राजनीतिक सत्ता के जम्मू क्षेत्र में स्थानांतरित होने का डर है। आयोग ने जम्मू में 37 से 43 और घाटी में 46 से 47  सात अतिरिक्त विधानसभा क्षेत्रों का सुझाव दिया है। राजनीतिक मानचित्र को पूरी तरह से जनसंख्या के प्रसार पर नहीं बनाया जा रहा है। अतिरिक्त निर्वाचन क्षेत्रों का प्रस्ताव "अपर्याप्त संचार" और "अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर उनकी अत्यधिक दूरदर्शिता या दुर्गम परिस्थितियों के कारण सार्वजनिक सुविधाओं की कमी" के कारकों के आधार पर भी किया जा रहा है।

इस तरह के विचार पहले भी लागू किए गए होंगे, लेकिन वर्तमान स्थिति को जो विशिष्ट बनाता है वह है मुस्लिम क्षेत्र से हिंदू क्षेत्र में राजनीतिक सत्ता का स्थानांतरण।

यह तथ्य भी ध्यान में रखना होगा 2019 में जम्मू कश्मीर राज्य की विशेष संवैधानिक स्थिति का विवादास्पद उन्मूलन के बाद राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया गया तब से ही राजनीतिक विवाद इस क्षेत्र को अशांत किये हुए है।

आयोग का गठन 6 मार्च, 2020 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के भाग V के प्रावधानों के तहत संसद अधिनियम के आधार पर किया गया था। केंद्र शासित प्रदेश की वर्तमान 83 सदस्यीय विधानसभा में सात  अतिरिक्त विधानसभा क्षेत्र जोड़ना अब कठिन कार्य होगा।

 

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