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संपादकीय

ग्लासगो टेस्ट

30.10.21 376 Source: Indian Express
ग्लासगो टेस्ट

ऐतिहासिक रूप से, भारत जलवायु न्याय का प्रबल समर्थक रहा है।

अगले पखवाड़े में, जलवायु संकट के समाधान के लिए बेताब दुनिया दो साल पहले हुई बैठक की तुलना में ग्लासगो में युनाइटेड नेशनस क्लाइमेंट चेंज कॉन्फ्रेंस (यूएनएफसीसीसी) की पार्टियों के 26वें सम्मेलन से बहुत बेहतर परिणाम की उम्मीद कर रही होगी। मैड्रिड में COP-25 की विफलता से सब परिचित है।

       पिछले साल मैड्रिड सम्मेलन कोविड-19 महामारी के कारण आयोजित नहीं किया गया था। लगभग दो दिनों तक ओवरटाइम जाने के बावजूद पेरिस संधि के नियमों को संहिताबद्ध करने की जद्दोजहद वैश्विक जलवायु कूटनीति को समन्वय युत्तफ़ बनाने और जीएचजी उत्सर्जन को कम करने की अनिवार्यता के बीच एक संबंध में दूरी को दर्शाती है। यूएनएफसीसीसी के इतिहास में सबसे लंबी बैठक के भूतों को भगाने के लिए कार्बन बाजारों के भविष्य को लेकर भारत, चीन और ब्राजील और औद्योगिक देशों के बीच गतिरोध को तोड़ने की आवश्यकता होगी।

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